Wednesday, August 3, 2016

यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र दानवः

बेटी
बेटियां पैदा भी हों तो हो धनी परिवार में
दीन की बेटी खडी है आज भी बाजार में
जिन्दगी तो अब गरीबी के लिये अभिशाप है
बेटी गरीबों के यंहा होना भी अब तो पाप है

शब्द के सौन्दर्य से कब तक हमें लुभाओगे
बेटियों को देखने दीन के घर कब जाओगे
दीनता की रोज घटना घट रही इस देश में
क्यों घूमते दानव, दरिन्दे भेडियों के भेष में

अस्मिता लुटती है समझो, बेटियां ही मर गयी
आत्महत्या ही बची है, बेटियां जो कर गयी
कानून भी अश्लीलता की पर्त को ही बोलते हैं
कचहरी में बे - हया कानून कपडे खोलते हैं

हम तो इज्जतदार परिवारों में रिस्ता मांगते हैं
मजबूरियों में बेटियों को हम ही शूली टांगते हैं
इज्जत बचाने के लिये,बस, मर रही है बेटियां
धर्म के इस देश में क्या कर रही हैं बेटयां

घर बार भी बिकता है बेटी की विदायी के लिये
जिन्दगी कर्जे में है,ऋण की अदायी के लिये
इस दर्द को भी मौन होकर बाप ही तो झेलता है
समाज तो बस, बेटियों के भाव से ही खेलता है

आज भी अबला बनी हैं र्दुगन्द ढोने के लिये
बस, बेटियां लुटती रही हैं, सिर्फ रोने के लिये
गर्भ में भी भ्रूण बन, बे-वक्त मरती जा रही हैं
मौत से बच कर सदा ,श्रृंगार करती जा रही हैं

सीता ,अहिल्या, द्रोपदी ,लक्ष्मी बनी संसार में
अस्मिता लुटती रही कंही प्यार में संहार में
कौमों कबीलो के लिये बेटी जॅंहा को पालती हैं
कष्ट में भी प्यार बन बेटी स्वयं को ढालती हैं

माॅं, भागिनी,भौजी बनी दुनियां बचाने के लिये
मैं जन्म लेती हूॅं सदा श्रृष्टि रचाने के लिये
उपाशनाऔर वाशना में मैं सतत् सज के खडी हूॅं
श्रृंखला ब्रह्माण्ड की भी जोडने की मैं कडी हूॅं

यक्ष, किन्नर, नाग, देवों से सदा लुटती रही हूॅं
अय्यासियों मेंअप्सरा बनकर सदा घुटती रही हूॅं
ये जमाना काम-क्रिडा और हवश को जानता है
बस, वेदना मेरे हृदय की ‘आग’ ही पहचानता हेै!!
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
मो098973998

Sunday, July 31, 2016

भोले के शोले
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - करके हम हार गये
सुल्फा, गांजा, भांग ,धतूरा पीकर सब संस्कार गये
व्यभिचार फिर भी भारत में सुरसा सा मुँह खोल रहा हेै
राजनीति ने तुझको छोडा ,हर - हर मोदी बोल रहा हेै
भारत में तो राम - भक्त सब, वेद - शास्त्र के पार गये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये

शिव-मन्दिर में भीड लगी हेै, बाबा तुझको ध्याने को
भक्त - मण्डली भी आतुर है मरने और मिट जाने को
कुछ चोर - उचक्के तेरे नाम से,निकल पडे घर-बारों से
लूट रहे हैं जो मिलता हैे , तीर्थ - क्षेत्र, बाजारों से
जगह - जगह भण्डारे देखो, किये हुये उपकार गये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये

शिव - भक्तों का खाना, पीना, हगना भी उत्पात हो गया
कच्छा और बनियान भक्त का शंकर तेरा साथ हो गया
कुछ भक्त तो चौराहों पर दारू पीकर मस्त पडे हैं
कुछ सुल्फे की चिलम लगाकर,सडक किनारे पस्त खडे हैं
सावन में तो सभी नसेडी ,शंकर के अवतार भये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये

सुना है हमने मक्का और मदीना में तू विद्यमान हेै
धर्म - कर्म और मजहब कौम में,भोले तेरी फंसी जान हेै
आसक्त - भक्त का तेरी शिवलिंगी पिण्डी में प्रवेष नही है
क्या केवल तू भारत का हेै, मुस्लिम तेरा देश नही हेै
इतिहासों में कथा सुनी, क्या शिव - ताण्डव बेकार गये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये

भक्त - मण्डली सोमवार और स्रावन में तुझको ध्याती है
वर्षाती मौसम में जनता बम - बम भोले ही गाती हेै
तू संहार का परिणेता हेै, फिर भी बलात्कार होते हैं
भारत में तो व्यभिचार को, आज विरक्ती भी ढोते हेैं
तेरे नाम की आड में बाबा , नंगे बाजी मार गये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये

हे दक्षेश्वर ,हे सामेश्वर , अब इस भारत का उद्वार करो
अब भ्रष्टाचारी राजनीति में आओ कुछ उपचार करो
मंहगायी ,भुखमरी, गरीबी ये भारत क्यों झेल रहा है
बाबा, नेता और व्यवसायी, व्यभिचार से खेल रहा हेै
कवि आग के लिखते - लिखते जले हुये अंगार गये
अब भोले बाबा तेरी पूजा कर - कर के हम हार गये।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
9897399815

Saturday, July 30, 2016

भारत की आदर्शता
हवा में उडते देख तिरंगे को भी नही गॅंवारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है
महाभारत में कान्धार, काबुल तक राष्ट्र सहारा है
प्राचीन में चीन शिवालय वो कैलाश हमारा है
छोटे - मोटे देशों का दुनियाँ में कोई धाम नही था
भूमण्डल में अमरीका जैसा भी कोई नाम नही था
मानवता की हर भूमि पर दावा आज हमारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है

चन्द्रगुप्त, कौटिल्य काल से पूरा पश्चिम पलता था
चाणक्य गुरू की प्रतिभा के भय से ये राष्ट्र संभलता था
हिन्दू, मुश्लिम, सिक्ख,इसाई एेसी कोई जात नही थी
मानवता में भेद भाव की राजनीति जज्बात नही थी
व्यभिचार के घनानन्द का शूल मूल से काटा था
राष्ट्र -द्रोह में मृत्यु-दण्ड से जन जन में सन्नाटा था
सत्ता और सियासत में भी सत्य सनातन नारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है

जनकपुरी की माता सीता गान्धार की गान्धारी
अमरीका पाताल मकरध्वज की नगरी कैसी न्यारी
भानू का भक्षक बजरंगी पवन पुत्र कहलाता था
इतिहास गवाह है स्वर्ग मोक्ष का रधुवंश से नाता था
दुर्वाशा की सृष्टि संरचना शौर्य , शास्त्र बतलाते हैं
भू-मण्डल के चक्रवर्ती को वेद पुराण भी गाते हैं
सारी दुनिया इस भारत का छोटा सा गलियारा है
शब्द हवा मे गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है

चारों युग ,नक्षत्र, वेद ,ग्रह, ज्योतिष शास्त्र हमारा है
स्वर्ग,मोक्ष की कठिन कल्पना ,आविष्कार हमारा हेै
नटराज के डमरू नाद से सिद्यान्त कौमुदी आती है
अभिव्यक्ति उस पार्णिनि की वेद ऋचा समझाती है
कालिदास और भतृहरि की अलंकार की भांषा है
सरल शब्द से तुलसी ,मीरा और कबीर तरासा है
संस्कृत सब भांषा की जननी वेद, शास्त्र का नारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है

दुनिया भर के सभी राष्ट्र की नजरें हम पर गढी हुयी हैं
भोग,विलासों की दुनिया भी भारत में क्यों पडी हुयी हेै
अवतारों की श्रेष्ठ श्रृंखला भारत में ही क्यों होती है
हिजबुल,नक्सल,माओवादी, भारत माता क्यों ढोती है
चोर,लुटेरों से भी लुटकर भी भारत सबको पाल रहा है
सरहद के टुच्चे स्वर सुनकर देख रहा है टाल रहा है
मौन शब्द सब चीर रहा था, कैसा अस्त्र करारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है

समय आ गया,भारत वालों, फिर से वो तकरार करो
जो सीमा पर आंख उठाये, निसंकोच संहार करो
क्यों घुसते हैं भूखे - नंगे, सीमाएं सब बन्द करो
राजनीति से राष्ट्र - धर्म के उपर ना दुर्गन्द करो
करे खिलाफत भारत की उस पर कुछ एेसा वार करो
चौराहों पर खडा करो और चीर के टुकडे चार करो
कवि आग ने कविताओं से दुश्मन को ललकारा है
शब्द हवा में गूॅंज रहा है पाकिस्तान हमारा है।।

राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
मो09897399815

Friday, July 29, 2016

भिन्नता से खिन्नता
सरकारी स्कूल की शिक्षा, बच्चे खींच रहे है रिक्शा
टाट में बैठो,खाओ भिक्षा,प्रजातन्त्र की यही है इच्छा
क्या केवल गुरूजी के बच्चे ही अंग्रेजी शिक्षा पायेंगे
नेता,व्यापारी के बच्चे, सब कान्वेन्ट पढने जायेंगे

बडे - बडे नौकर - शाही के बच्चे होंगे शूट -बूट में
बडे पदों का लाभ मिलेगा,फ्री में शिक्षा खुली छूट में
मध्य - वर्ग भी मरते - मरते अंग्रेजी ही पढवायेगा
मोटी - मोटी फीस भरेगा एक वक्त रोटी खायेगा

छोटे मोटे मजदूरों का शिक्षा भी अब ख्वाब नही है
बच्चे पैदा करने का भी अब भारत में लाभ नही हेै
भीड बढाने से अच्छा है बह्मचर्य अपनाओ भाई
धनवानो का प्रजातन्त्र हेै, मजा ले रहे बाबा,माई

मजदूरों को पैदा करने वाले भारत में जिन्दा हैं
अभिशापों के कारण, नंगे-भूखो की घर-घर निन्दा है
गली-गली स्कूल मदरसे, ही यतीम को पाल रहे हैं
समप्रभुत्व समपन्न देश है हम गरीब को टाल रहे हैं

जगह-जगह स्कूल खुले हेेैं,ज्ञान-ध्यान का पता नही है
शहर गांव में कारा - गृह हेेैं, गुण्डागर्दी,खता नही है
मन्दिर, मस्जिद, गुरूद्वारे हेैं, धर्मो के झगडे जारी हैं
प्रजातन्त्र में बाबा, पण्डित ओैर मौलवी ही भारी हेैं

इन सबकी बुनियाद में केवल ,शिक्षा का ही भिन्न रूप हेेै
इसिलिये तो डेढ अरब की भीडों में हम सब कू-रूप है
क्या एक ही शिक्षा,एक समीक्षा,एक तितिक्षा आ पायेगी
राजनीति क्या समतुल्यता की मानवता पनपायेगी

सरकारी गुरूओं को पहले राष्ट्र -भक्ति अपनानी होगी
सब बच्चों में अपने बच्चों जैसी रीत चलानी होगी
जो कुछ भी वेतन मिलता है उसका कुछ सत्कार करो
सरकारी स्कूल को अपना राष्ट्र समझ कर प्यार करो

फिर से भारत में सरकारी शिशू - निकेतन लहरायेंगे
सरकारी गुरूकुल में बच्चे, फिर से पढने सब आयेंगे
सकल्पशक्ति हो गुरूओं मे, व्यवसायी शिक्षा हट जायेगी
हर गरीब की पीढी शिक्षा, कवि आग फिर से पायेगेी।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
मो09897399815

साथियों मंहगाई को कम करने का सुलभ तरीका बता रहा हू,जिसमें एक नया पैसा भी खर्च नही होगा और तीन दिन के भीतर मंहगाई स्वतः समाप्त हो जायेगी ।
नया-नुक्ता
आर.एस.एस के चेले अपने अगल-बगल में खोज करें
और कांग्रेस के सेवा दल भी छान-बीन को रोज करें
कम्युनिष्ट के कामरेड भी जमाखोर की छान करें
स.पा, बा. स. पा गोदामों को ढूंढे और पहचान करें
चार दिनो में जमाखोर का माल सडक में आजायेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा

जनता को वो ताकत दे दो,जो चोरों को पकड सके
चौराहों पर जूते मारे, काला मूंह कर जकड सके
हर दूकान पर छापा मारे ढूंढे कितना माल पडा है
उसी क्षेत्र में ज्यादा घुमें, जंहा - जंहा आकाल पडा है
संसद के सर्कस का नाटक जनता के सन्मुख आयेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा

किस नेता ने कंहा-कहा पर व्या पारी से चन्दा खाया
भ्रष्टाचारी इस मुजरिम को किस-किस नेता ने पनपाया
देश की जनता जान जायेगी राजनीति का खेल निराला
इमान दारी से काम चलेगा,नेता का मूंह होगा काला
धीरे-धीरे देश का जनमत चोर पकडना सिख जायेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा

नौकर-शाही के होते भी माल मिलाट हम खाते हैं
सेम्पल भरने वाले नौकर, व्यभिचारों को पनपाते हैं
दलहन,तिलहन भारत में मांग से ज्यादा भरा पडा है
अधिकारी ,व्यापारी ,नेता ,इन सबका तो एक धडा है
भारत में तो जमाखोर ही, व्यभिचार को पनपायेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा

विधानसभा और लोकसभा की सारी कैन्टीन बन्द करो
अब हर नेता से बोलो अपने खाने का प्रबन्ध करो
दाल,तेल की कीमत सारे नेता खुद ही जान जायेंगे
मध्य-वर्ग कैसे पलता है और गरीब क्या-क्या खायेंगे
महगायी का दंश देश का नेता भी तो समझ पायेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा

सप्तम वेतन के लाभों से नेता को भी लाभ मिला है
मोटे - मोटे वेतन - भत्तों वालों को सै लाब मिला है
छोटे-मोटे नौकर शाहों का इसमे कुछ लाभ नही है
ध्याडी,मजदूरी वालों का ,ये भारत अब ख्वाब नही है
कवि आग को सुनकर पढकर नेता खुद ही मर जायेगा
मध्य-वर्ग जो पिसा हुआ है दो रोटी सुख से खायेगा।।
राजेन्द्र प्रसाद बहुगुणा(आग)
मो09897399815